गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

जिए का तो कोई अगला पल होता नहीं

अपनी दुनिया को दूर से देखना
उन जिए पलों की तहों में उतरना
उनसे बाहर निकलना
उन पलों को जीना जो अब तक अनजिए रहे
यानी अनजिए के पल
जिए का तो कोई अगला पल होता नहीं

4 टिप्‍पणियां:

  1. ek achi kavita...

    अपनी दुनिया को दूर से देखना
    उन जिए पलों की तहों में उतरना

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  2. यानी अनजिए के पल
    जिए का तो कोई अगला पल होता नहीं
    बहुत ही अच्छी रचना

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  3. apni duniya ko dur se dekhna or jiyo palo ki taho me utarana bahut jaruri hai. kyu ki jo samay ham jee chuke hai, wo lotkar nahi aata. bahut badiya hai.

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